Add To collaction

लेखनी कहानी -10-Nov-2022 नोटबंदी

नोटबंदी (2) 


गतांक से आगे

अचानक हुई नोटबंदी से पूरे देश में हाहाकार मच गया। जिधर देखो, उधर एक ही चर्चा । लोग अपने अपने हिसाब से बातें बनाने लगे । ईमानदार लोग इसे बहुत बढिया और बेईमान बहुत खराब निर्णय बता रहे थे । चौराहों पर चर्चा चलने लगी ।  एक ने कहा , " भई मजा आ गया । बेईमानों की तो वाट लगा दी मोदी जी ने । और कमाओ नंबर 2 का पैसा । रद्दी में बेचने पड़ेंगे अब नोट । किलो के हिसाब से" ।
दूसरा , " रद्दी में कैसे बेचेंगे ? पुलिस पकड़ नहीं लेगी क्या " ? 
तीसरा , "मेरे पास तो 500 रुपये भी नहीं हैं । घर कैसे चलेगा" ? 
चौथा, " अरे यार अपनी छोड़, अपुन तो जैसे तैसे कर लेंगे पर दुबे जी के बारे में सोच । कितना माल खींचा है उन्होंने ?  एक ही झटके में सब साफ़ हो गया " । 
पूरा ग्रुप खिलखिलाकर हंस पड़ा । अपने ग़म बहुत छोटे लगते हैं जब दूसरे लोग भयंकर मुसीबत में होते हैं । अपने चाहे लाख रुपए डूब रहे हों, लेकिन दूसरों के अगर करोड़ों डूब रहे हों तो अपने लाख रुपए डूबने पर भी दुःख नहीं होता है बल्कि आत्मिक संतोष होता है । मनुष्य बड़ा विचित्र आदमी है । 

ऑफिस में भी इसी विषय पर चर्चा हो रही थी । लंच क्लब में सब अधिकारी लोग अपना अपना ज्ञान बघार रहे थे । जो अधिकारी मोदी जी के प्रशंसक थे, वे इस घोषणा की मुक्त कंठ से प्रशंसा कर रहे थे । कह रहे थे, " 56 इंच का सीना इसे कहते हैं । एक ही झटके में सारा भ्रष्टाचार खत्म । यह है मोदी का मास्टर स्ट्रोक । सबको कंगाल कर दिया है उसने एक झटके में " । 
मोदी जी के विरोधी इस निर्णय को देश की अर्थव्यवस्था पर कुठाराघात बता रहे थे । कह रहे थे, " सत्यानाश कर के रख दिया है देश का । और कितना बर्बाद करके जायेगा ? खुद तो चायवाला है इसलिये सबको केतली थमा के जायेगा । अब इसे चुना है तो भुगतो । सारे देश को लाइन में लगा दिया । आदमी नौकरी करे या एटीएम की लाइन में लगे ? भाईसाहब, सब्जी खरीदने को भी पैसे नहीं हैं घर में । क्या करें, कहां जायें " ? 

बहुत देर से मैं यह बक बक सुन रहा था । मैंने कहा, "भाइयों, मुझे तो कोई तकलीफ़ नहीं हो रही है । सारा काम पहले की तरह नहीं चल रहा है, यह सच है पर आफत भी नहीं आ रही है । जो ट्रांजैक्शन डिजीटल हो सकते हैं उन्हें तो डिजीटल कर लो, आधी समस्या तो इसी से हल हो जायेगी । कुछ पेमैंट एटीएम से कर दें । कुछ नकद कर दें । दो चार दिन कम खर्च कर लेंगे तो कोई आफ़त नहीं आ जायेगी " ? 
इतने में मेरे एक साथी अधिकारी ने कहा । " भाई जी । हमारे तो घर पे आकर मैनेजर नोट बदल गया । अपन को कोई चिंता नहीं। " उनके इतना कहने पर सब अधिकारियों ने उन्हें पकड़ लिया । " भाई, पार्टी तो बनती है । आपका इकबाल बुलंद है जो बैंक मैनेजर घर आकर पैसे दे गया । इसके लिए पार्टी तो करनी पड़ेगी । किसी के घर मैनेजर तो दूर, चपरासी तक नहीं आया । भाईजी, पार्टी की तारीख मुकर्रर कर दो फटाफट" । लंच क्लब में चाहे किसी बात पर मतैक्य हो या ना हो लेकिन पार्टी के लिए तुरंत सर्व सम्मति बन जाती है । इस प्रकार उन सज्जन से पार्टी ली । इस पार्टी का मजा ही कुछ और आया । 

धीरे धीरे अखबारों में लोगों की काली कमाई के विवरण आने लगे । लाखों के नोट नहर में पड़े हुये मिले । करोड़ों रुपए सड़कों पर बिखरे पड़े मिले । कोई उन नोटों का धणी बनने को तैयार ही नहीं था । कितना रामराज्य आ गया था इस देश में ?  ईमानदार लोगों की जैसे अचानक बाढ सी आ गयी थी । दुकानदारों के पास कर्जा चुकाने वालों का मेला सा लग गया था । कर्जा चुकाने वाला कह रहा था कि सेठ, अपना पैसा वापस ले ले । लेकिन सेठ भी देवदूत बन गये थे जो कह रहे थे, ना भई ना। अभी पैसों की जरूरत नहीं है , अभी तो तू अपने पास ही रख ले, मैं बाद में ले लूंगा । सब लोग हरिश्चंद्र बन रहे थे। 

उधर कुछ नयी चीजें भी हुईं थी । ATM की लाइन "मिलन" स्थल बन गईं । ये भी लाइन में लगा । वो भी लाइन में लगी । नज़रें मिली । दिल धड़का और 
आंखों ही आंखों में इशारा हो गया ।
एटीएम की लाइन में खेल सारा हो गया ।।

कुछ लोगों को उनका मीत मिल गया तो कुछ  लोगों की कुटाई भी हो गई । नसीब अपना अपना । कुछ को नये दोस्त मिले। जैसे फेसबुक फ्रेण्ड वैसे ही एटीएम फ्रैण्ड । कुछ लोगों को तो ये उत्सव की तरह लगा । रोज नये नये कपड़े पहन कर एटीएम की लाइन में लग जाते और ...... बस । बाकी आप खुद समझदार हो । 

घरों से धर्म पत्नियों का काला धन बाहर आने लगा । राजेश ने बताया कि उसकी पत्नी ने अपनी गुल्लक से 50000 रु निकाले । उसने पूछा कि इतने पैसे कहां से आये ? वो बस मुस्कुरा कर रह गयीं, बताया कुछ नहीं । मैं ने भी अपनी पत्नी से पूछा कि आपने भी "काला धन" छिपा रखा है क्या ? वो बोली, मेरे पास कहां है काला, पीला नीला धन ? सारी जगह ढूंढ ली , तब जाकर करीब 3500 रुपए इकट्ठे हुये । हमारे एक परिचित के घर में 13 लाख रुपए मिले । ये पैसा उनकी पत्नी ने छिपा के रख रखा था । सबकी आंखें फटी की फटी रह गयीं । इतना पैसा कब और कैसे इकट्ठा हो गया, पता ही नहीं चला । सबकी पत्नियों की तिजोरी खुलने लगी । सारे पतियों ने मोदी जी को खूब धन्यवाद दिया । जिस धन का पता आज तक किसी को नहीं चला पाया था, एक झटके में ही मोदी जी ने सब बाहर करा दिया । "मोदी जी , आप महान हो" । सारे पतियों के दिल से मोदी जी के लिए दुआएं निकल रही थीं । अब ऐसे लोग दुखी थे जो कुंवारे थे । पत्नी होती तो कुछ माल बाहर आ जाता, लेकिन अब क्या करें । ना पत्नी थी ना माल, रह गये ठन ठन गोपाल । इसलिए भाइयों, समय पर विवाह करो और बीवी के हाथ में सत्ता सौंपकर चैन की जिंदगी जीओ । 

मीडिया में गरमागरम बहस चलने लगी । कुछ नेता टीवी डिबेट में चिल्ला चिल्ला कर कह रहे थे कि नोट बंदी बहुत ही गलत कार्य है । देश का बेड़ा गर्क कर दिया है इसने । मैं मन ही मन सोचता कि बेड़ा गर्क तो इनका हुआ है । एक ही पल में ये राजा से रंक बन गये हैं । अब जनता के बीच में ये तो बता नहीं सकते कि उनकी पाप की लंका जल गयी है । सब कुछ खाक हो गया है । अब वो लोग मोदी जी का प्रशस्ति गान तो करेंगे नहीं । गरियाने के अलावा और क्या कर सकते हैं ? मोदी जी ने सही जगह चोट की थी । बहुत दर्द हुआ था कुछ लोगों को । "सूजी" पड़ी थी इन लोगों की । ऐसे लोग आज तक स्यापा कर रहे हैं । उस मार से अभी तक उबरे नहीं हैं ऐसे लोग । 

कुछ मीडिया घराने नोट बंदी को आपात काल से भी खराब बताने लगे । बताने क्या लगे, सिद्ध करने लगे । ये वो चैनल थे जिन्होंने एक "खानदान" की गुलामी करते करते पत्रकारिता के परख्चे उड़ा दिये थे और अब "गोदी मीडिया" का राग अलाप रहे हैं । राष्ट्रपति भवन में अपने चैनल की "सिल्वर जुबली" मनाने वाले चैनल आज सबसे अधिक "अभिव्यक्ति की आजादी" का ढिंढोरा पीट रहे हैं । 
कुछ चैनल मोदी विरोधी है गये और कुछ मोदी समर्थक । गजब की स्वामीभक्ती देखी मीडिया घरानों में । एक चैनल के एक सेकुलर पत्रकार एटीएम की लाइन से लाइव टेलीकास्ट दिखाने लगे । लोगों से जबरदस्ती कहलाने लगे कि हाय, कितनी परेशानी हो रही है । धूप में खड़े हैं । भूख प्यास के कारण परेशान हैं । और ब्ला ब्ला ब्ला 
लेकिन वाह री जनता जनार्दन । उसने पत्रकार की वो खाट खड़ी की कि वह अपना छोटा सा मुंह लेकर नौ दो ग्यारह हो गया । भारत में मीडिया की स्थिति ऐसी हो गयी है कि मीडिया ही जज बन गया है । किसी पर भी बिना सबूत कोई भी आरोप मढ दो और सौ बार उस झूठ को चलाओ । फिर जोर जोर से चिल्लाओ कि देखो, कितना बड़ा घोटाला हो रहा है । लेकिन जनता अब समझदार हो गयी है । अब तो जनता ने तो बहुतों की दुकानें बंद कर दी है । कुछ पत्रकार ऐसे हैं जिन्होने कुछ घराने की प्रशस्ति गान में ही सारी कुशलता लगा दी और अब सरकार का विरोध करते करते देश का विरोध करने लगे हैं । पर ऐसे पत्तलकार और चैनल लगातार एक्सपोज हो रहे हैं । लेकिन ये इतने बेशर्म हैं कि चुल्लू भर पानी ने इन्हें डुबाने से मना कर दिया है । 

लेकिन आज मैं 6 साल पूर्व की उस घटना को याद करता हूं तो दिल को तसल्ली सी होती है कि उस निर्णय के कारण कितना धन जो तिजोरी में पड़ा था, बैंकों में आ गया और अर्थव्यवस्था का हिस्सा बना । कितने रुपए गरीब लोगों के खातों में जमा हो गये । नकली नोट खत्म हो गये। आतंकवादियों और नक्सलियों की कमर तोड़ दी । आयकर वसूली में 80% की बढ़ोतरी हो गई। आयकरदाताओं की संख्या में भी इसी प्रकार बढ़ोतरी हुई । आयकर नहीं देने वाले अब रिटर्न भरने लगे हैं । कुछ बैंक वालों ने नोट बदलवाने वालों के साथ मिलकर धोखाधड़ी ना की होती तो इसके और भी अच्छे परिणाम आते । मगर बैंक वालों ने खूब चांदी कूटी थी इसमें । बैंक वालों की ईमानदारी का भी लिटमस टेस्ट हो गया था उस दौर में । काश , मेरे देश का हर नागरिक ईमानदार होता तो परिणाम कुछ और ही होता । खैर, लोगों में अब यह डर बैठ गया है कि बड़े बड़े नोट पुनः कभी भी बंद हो सकते हैं । इसलिए ज्यादा पैसा हाथ में नहीं रखना चाहिए। 

उन लोगों को मेरा सलाम जिन्होंने रात दिन मेहनत करके एटीएम में पैसे डाले और बैंकों में दिन-रात काम किया । उन लोगों को भी मेरा सलाम जिन्होंने धूप में घंटों खड़े रहकर लाइन में लगकर भी अपना संयम बरकरार रखा । मेरा उन लोगों को भी सलाम है जो कुछ बिके हुए पत्रकारों और भ्रष्ट नेताओं के उकसावे में नहीं आये और अपना काम करते रहे । ये देश हम सबका है । हम सब लोग इसकी तरक्की के लिए काम करें तो विश्व में शीर्ष स्थान पर हमारा भारत देश ही होगा । 

समाप्त 
श्री हरि 
10.11.22 

   13
6 Comments

Gunjan Kamal

24-Nov-2022 06:59 PM

👏👌🙏🏻

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

24-Nov-2022 10:18 PM

💐💐🙏🙏

Reply

बेहतरीन

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

24-Nov-2022 10:18 PM

💐💐🙏🙏

Reply

Aliya khan

10-Nov-2022 11:19 PM

पुरानी यादों को फिर से ताज़ा कर दिया आप की कहानी ने आँखो के सामने ही घूम गया पूरा मंजर

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

10-Nov-2022 11:21 PM

चलो अच्छा हुआ जो वह मंजर आंखों के आगे से गुजर गया । 😊😊

Reply